उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) बजट के बाद के वेबिनार का सह-नेतृत्व करेगा

इस वेबिनार की विषयवस्तु होगी ‘क्षमता को उन्मुक्त करना : प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए जीवन जीने की सरलता’

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) बजट के बाद के वेबिनार का सह-नेतृत्व करेगा

बजट घोषणाओं तथा उन्हें आगे ले जाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए, 28 फरवरी, 2023 को बजट के बाद के एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस वेबिनार का नेतृत्व इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है जिसमें उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इसका सह-नेतृत्व करेगा। इस वेबिनार की विषयवस्तु है ‘क्षमता को उन्मुक्त करना : प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए जीवन जीने की सरलता : करने की सुगमता’। इस वेबिनार का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा।

इस वेबिनार में चार ब्रेकआउट सत्र होंगे। ‘विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए व्यवसाय करने की सुगमता’ पर सत्र 3 का समन्वयन डीपीआईआईटी द्वारा किया जाएगा। इस सत्र में राष्ट्रीय सिंगल विंडो सिस्टम, एक सामान्य व्यवसाय पहचानकर्ता के रूप में पैन, केवाईसी का सरलीकरण, एकीकृत फाइलिंग प्रक्रिया, प्रयोगशाला में निर्मित्त हीरे, एमएसएमई के लिए विवाद से विश्वास स्कीम आदि जैसे विषयों की एक व्यापक श्रृंखला शामिल होगी

    इस ब्रेकआउट सत्र में उद्योग एवं शिक्षा क्षेत्र की भरपूर भागीदारी देखी जाएगी। इस सत्र  में अंतरिक्ष विभाग के इनस्पेस के अध्यक्ष श्री पवन गोयनका, इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेटिव कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) के उपाध्यक्ष श्री अमित पांडेय, सकारात्मक कार्रवाई पर भारतीय उद्योग राष्ट्रीय समिति के कंफेडेरेशन के अध्यक्ष श्री पिरुज खम्बाटा, अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) के प्रौद्योगिकी के कार्यकारी निदेशक श्री विश्वनाथ रविचंद्रन, भारतीय सूक्ष्म एवं लघु तथा मझोले उद्यमों के फेडेरेशन (फिस्मे) के महानिदेशक श्री अनिल भारद्वाज, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एमएस रामचंद्र राव, आईआईटी दिल्ली के डॉ. नीरज खरे और डिजिटल अर्थव्यवस्था नीति अनुसंधान केंद्र के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. जयजीत भट्टाचार्य के योगदान शामिल होंगे।

आम बजट 2023 में व्यवसाय करने की सुगमता और जीवन जीने की सरलता को बढ़ाने के संबंध में महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। इन लक्ष्यों को अर्जित करने में प्रौद्योगिकी का अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान होगा। प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करने और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विभिन्न् मंत्रालयों, विभागों तथा उद्योग संगठनों, शिक्षा क्षेत्र जैसे अन्य हितधारकों के बीच समन्वयन तथा सहयोग की आवश्यकता होगी।