केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का 'औषधि : गुणवत्ता विनियम और प्रवर्तन' पर 2 दिवसीय चिंतन शिविर हैदराबाद, तेलंगाना में संपन्न
चिंतन शिविर ने सभी हितधारकों को सुदृढ़, लचीले, पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिकों के अनुकूल औषधि विनियामक ढांचे के निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने का मंच प्रदान किया: डॉ. मनसुख मांडविया “हमारा विज़न विश्व के सबसे सम्मानित और स्वीकृत औषधि विनियामक के रूप में विख्यात है” “डिजाइन द्वारा गुणवत्ता” हमारा आदर्श वाक्य होना चाहिए: डॉ. मनसुख मांडविया “यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भारत में उत्पादित औषधियां और चिकित्सा उत्पाद घरेलू और निर्यात दोनों ही बाजारों के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाले हैं” “सुदृढ़ विनियामक प्रणालियां सुनिश्चित करने के लिए संघीय लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर केंद्र और राज्यों दोनों का सद्भाव और तालमेल के साथ मिलकर काम करना आवश्यक”
“यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भारत में उत्पादित औषधियां और चिकित्सा उत्पाद घरेलू और निर्यात दोनों ही बाजारों के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाले हैं। सुदृढ़ विनियामक प्रणालियों की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए संघीय लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर केंद्र और राज्यों दोनों का सद्भाव और तालमेल के साथ मिलकर काम करना आवश्यक है।”यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां “औषधि : गुणवत्ता विनियम और प्रवर्तन” विषय पर दो दिवसीय विचार मंथन सम्मेलन के समापन सत्र में कही। इस अवसर पर उनके साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार, रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री डॉ. भगवंत खुबा और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पाल तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री टी. हरीश राव, श्री संजय भाटिया, लोकायुक्त, उप-लोकायुक्त महाराष्ट्र भी मौजूद थे। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियामकों ने भी इस दो दिवसीय विचार-मंथन सम्मेलन में भाग लिया।
डॉ. मांडविया ने कहा कि चिंतन शिविर के गहन विचार-विमर्श के सत्रों ने सभी हितधारकों को सुदृढ़, लचीले, पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिकों के अनुकूल औषधि विनियामक ढांचे के निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने का मंच प्रदान किया। उन्होंने कहा कि यह ढांचा केवल गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि देश भर में उच्चतम गुणवत्ता वाली औषधियों और चिकित्सा उपकरणों की आसान उपलब्धता और पहुंच भी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, “दो दिन के गहन चिंतन ने सभी प्रतिभागियों को ऐसे दूरदर्शी, समावेशी, समग्र और व्यापक विनियामक ढांचे के निर्माण के बारे में टीम भावना से विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान किया, जो तीन स्तरों - नीति, प्राथमिकताओं और कार्यान्वयन -पर अगले 25 वर्षों के विजन का निर्धारण और आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रतिभागियों को उत्साहित करते हुए कहा, “हमारा विज़न विश्व के सबसे सम्मानित और स्वीकृत औषधि विनियामक के रूप में विख्यात है । ऐसा तभी संभव है जब हम देश में जेनेरिक से क्वालिटी -जेनेरिक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन का रुख करें। हमारी दवा विनियामक प्रणालियों को अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, संगठन को मजबूत बनाने और क्षमता बढ़ाने की जरूरतों को पूरा करना चाहिए” उन्होंने जोर देकर कहा, “डिजाइन द्वारा गुणवत्ता” हमारा आदर्श वाक्य होना चाहिए।
चर्चाओं में इस बात को रेखांकित किया गया कि एक समान मानकों के सिद्धांतों, अनुपालन और प्रवर्तन की मजबूत संरचनाओं और क्षमता बढ़ाने के माध्यम से देश की औषधि विनियामक प्रणाली को पारदर्शी, पूर्वानुमेय और सत्यापन योग्य कैसे बनाया जाए। यह बात भी सामने रखी गई कि प्रौद्योगिकी एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में सूत्रधार और सहायक की भूमिका निभा सकती है। एकीकृत विरासत प्रणालियों के साथ राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ एक समान पोर्टल की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। समय-समय पर समीक्षा, केवल दवाओं ही नहीं, बल्कि चिकित्सा उपकरणों के लिए भी वैश्विक बेंचमार्किंग के प्रावधान सहित न्यूनतम से इष्टतम मानकों की ओर रुख करना आज के सत्र का अभिन्न अंग रहा। अनेक प्रतिभागियों ने शिकायतों, प्रभावी रिकॉल उपायों आदि के लिए पोर्टल के साथ-साथ दवाओं की गुणवत्ता पर भरोसा मजबूत करने के लिए नागरिक केंद्रित उपायों के सृजन के महत्व को रेखांकित किया। इसके अलावा गुणवत्ता के आश्वासन के लिए आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी की भी पेशकश की गई। अन्य राज्यों के अनुभव से सीखने का मंच प्रदान करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न राज्यों की औषधि विनियमन की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया गया।

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने केंद्र और राज्यों द्वारा सहयोगपूर्ण भावना के साथ बैठक में भाग लेने की सराहना की। उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से साइलेंट पेंडेमिक के रूप में उभर रहे एएमआर पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए नवाचार समाधान विकसित करने का आग्रह भी किया।
दो दिवसीय चिंतन शिविर में डॉ मांडविया ने स्वस्थ जीवन शैली की पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए योग और ध्यान के सत्रों हेतु प्रतिभागियों का नेतृत्व किया।
इस अवसर पर श्री राजेश भूषण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, श्रीमती एस. अपर्णा, केंद्रीय फार्मा सचिव, डॉ. राजीव बहल, सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, श्री एस. गोपालकृष्णन, विशेष सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, श्री जी. कमला वर्धन राव, सीईओ, एफएसएसएआई, डॉ. अतुल गोयल, महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा और डॉ. राजीव रघुवंशी, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया उपस्थित थे। इस दो दिवसीय मंथन सम्मेलन में श्री राजीव वधावन, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, डॉ एन युवराज, संयुक्त सचिव, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, नीति आयोग, एनपीपीए, डीजीएचएस, आईसीएमआर, एनआईपीईआर, सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरीज के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
Mapha Patel