जयपुर, 28 फरवरी। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग राजस्थान की ओर से मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा को बैज पहनाकर विज्ञान जागरूकता कार्यक्रमों की शुरूआत की गई। मुख्य सचिव कार्यालय में मंगलवार दोपहर विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संदीप वर्मा एवं कार्यक्रम निदेशक साधना माथुर ने मुख्य सचिव को बैज पहनाया व कार्यक्रम की जानकारी दी।
इस दौरान मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कार्यक्रम की जानकारी लेते हुए सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में विज्ञान की बढ़ती भूमिका को देखते हुए इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम जरूरी हैं। विशेष रूप से महिलाओं को इससे जोड़ना चाहिए। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों में विज्ञान को लेकर उत्सुकता व रूचि जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संदीप वर्मा ने बताया कि विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने 28 फरवरी, 1928 को रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
महिलाओं को विज्ञान से जोड़ने पर जोर
श्री वर्मा ने बताया कि देश और राज्य के विकास के लिए वैज्ञानिक सोच का प्रसार आवश्यक है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध हो सकते हैं। विज्ञान के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं। इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से शुरू हो रहे 15 दिवसीय जागरूकता अभियान के तहत स्कूल-कॉलेजों में विज्ञान से संबंधित विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाए जाएंगे। इस बार महिला दिवस को विज्ञान से जोड़कर महिलाओं में विज्ञान के प्रति रूझान बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, वर्ष भर विभिन्न विभागों व विशेष कार्यक्रमों के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को जोड़ते हुए वैज्ञानिक चर्चा को बढ़ावा दिया जाएगा।
स्कूल-कॉलेजों में होंगे विशेष व्याख्यान
कार्यक्रम निदेशक डॉ. साधना माथुर ने बताया कि इस 15 दिवसीय अभियान में जिला स्तर पर स्कूल व कॉलेजों में विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, प्रदर्शनी आदि आयोजित की जाएंगी। साथ ही, प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।