जयपुर, 11 अप्रैल। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की भारतीय पद्धति इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें संविधान निर्माताओं ने स्थायित्व की जगह जवाबदेही को महत्व दिया। उन्होंने कहा कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की जवाबदेही से ही लोकतंत्र सुदृढ होता है।
उन्होंने लोकतंत्र के पर्व पर मनीषीगण की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि समाज में जागरूकता और शिक्षा जरूरी है। बुद्धिजीवी लोगों को संवैधानिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी विचारशीलता, विद्वत्ता, औमौलिक चिंतन से ही लोकतंत्र के मूल तत्वों को मजबूत करने में मदद मिलती है।
राज्यपाल मिश्र गुरुवार को वाराणसी स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित लोकतंत्र के पर्व पर मनीषीगण की भूमिका' विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान का लक्ष्य ही समाज का सर्वांगीण विकास है।
उन्होंने कहा किभारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है। यहां संसदीय व्यवस्था को इसीलिए अपनाया गया ताकि सरकार में प्रत्येक वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। उन्होंने लोकतंत्र की मजबूती के साथ सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य करने पर जोर देते हुए बुद्धिजीवी वर्ग को इसमें अपना निरंतर योगदान देने का आहृवान किया।