मौसम पूर्वानुमान में भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग की बड़ी संभावना है : डॉ. जितेंद्र सिंह

" दोनों ही देशों के नागरिक ऐसी समान स्थितियों का सामना करते हैं जो हमें मौसम की भविष्यवाणी सहित विभिन्न विषयों को एक सामान्य दृष्टिकोण से देखने पर विवश करते हैं'' व्यवस्था में निरंतर सुधार पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा - मौसम की भविष्यवाणी सामान्य नागरिक के जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुकी है

मौसम पूर्वानुमान में भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग की बड़ी संभावना है : डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि मौसम पूर्वानुमान में भारत और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के बीच सहयोग की बड़ी सम्भावना है।

आज नई दिल्ली में चौथी मौसम एवं जलवायु विज्ञान सेवा हेतु सहभागिता – भारत (वैदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप-डब्ल्यूसीएसएसपी-इंडिया) की वार्षिक विज्ञान कार्यशाला (एनुअल  साइंस वर्कशॉप) - 2023 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि न केवल दोनों देश एक ही गोलार्ध में हैं बल्कि ब्रिटेन के साथ काम करना इसलिए भी आसान है क्योंकि हमारे संबंधों में सहजता का स्तर ऊंचा है।

उन्होंने कहा कि “दोनों ही देशों के नागरिक ऐसी समान स्थितियों का सामना करते हैं, जो हमें मौसम की भविष्यवाणी सहित विभिन्न विषयों को एक सामान्य दृष्टिकोण से देखने पर विवश  करते हैं''।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मौसम की भविष्यवाणी सटीक मॉडलिंग का विज्ञान बन गया है और इसमें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और डेटा समावेशन शामिल है। निरंतर सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मौसम पूर्वानुमान सामान्य नागरिक के जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुका  है।

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इस अवसर पर बोलते हुए भारत में ब्रिटेन की मंत्री उप उच्चायुक्त सुश्री क्रिस्टीना स्कॉट ने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला दोनों देशों को प्रभावित करने वाली गंभीर और प्रतिकूल  मौसम की परिस्थितियों के लिए सही प्रकार की प्रतिक्रिया तैयार करने में सहायक बनेगी। उन्होंने कहा कि दोनों देश आपदा के अनुरूप लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी मिलकर काम कर रहे हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला कोविड महामारी के कारण दो वर्ष के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसमें मौसम पूर्वानुमान के लिए डेटा की समझ, मॉडलिंग और आकलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

इस कार्यशाला का आयोजन 7 फरवरी 2019 को हस्ताक्षरित "वेदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप इंडिया (डब्ल्यूसीएसएसपी-इंडिया)" परियोजना से संबंधित कार्यान्वयन समझौते के एक हिस्से के रूप में किया जा रहा है। इसने भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ब्रिटेन के मौसम कार्यालय के बीच मौसम और जलवायु विज्ञान में सहयोग पर 28 जनवरी 2019 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का पालन किया।

50 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागियों के अलावा ब्रिटेन के लगभग 25 वैज्ञानिक और लगभग 70 भारतीय वैज्ञानिक / शोधकर्ता इस कार्यशाला में व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे। बैठक के दौरान विचार-विमर्श और परस्पर चर्चा से मौसम और जलवायु पूर्वानुमान क्षमताओं - विशेष रूप से भारतीय क्षेत्र पर उच्च प्रभाव वाले मौसम के बारे में सुधार, के इस सहयोगी प्रयास के लिए नए विचार और दिशा मिलने की सम्भावना है।

भारत- ब्रिटेन सहयोग के माध्यम से डब्ल्यूसीपीएसएस-इंडिया प्रोजेक्ट के प्रमुख विज्ञान उद्देश्यों में दक्षिण एशियाई मानसून प्रणाली में प्राकृतिक खतरों पर अनुसंधान और भविष्यवाणी की समय- सीमा के सम्बन्ध में प्राकृतिक खतरों के जोखिम आधारित पूर्वानुमान के लिए उपकरणों और तकनीकों में सुधार करना शामिल है।

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इस परियोजना के माध्यम से उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है, जिसमें अंकीय मौसम पूर्वानुमान (न्यूमेरिकल वेदर प्रेडिक्शन–एनडब्ल्यूपी) की वैश्विक प्रणाली के कार्यान्वयन और उसके सफल परीक्षण के साथ ही राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट–एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) के परिचालनीय उप-किमी कोहरा पूर्वानुमान छायांकन (रिज़ॉल्यूशन फॉग फोरकास्ट) के मॉडल में सुधार करना  शामिल है। मॉडलों में व्यापक अंतरतुलना से संबंधित नए ज्ञान तथा बाढ़ जोखिम प्रभाव मॉडलिंग के लिए मानसून जोखिम प्रक्रियाएं और प्रोटोटाइप उपकरणों के परस्पर सह-विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।