राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय, कोटा की व्यवस्थाओं की की गहन समीक्षा — छात्रों को राष्ट्रनिर्माता बनाने पर दिया जोर
 
                                कोटा, 31 अक्टूबर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने गुरुवार को कृषि विश्वविद्यालय, कोटा में संचालित विषयों, विद्यार्थियों की स्थिति, नामांकन व्यवस्था, शैक्षणिक गुणवत्ता एवं संस्थागत व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि भविष्य के कृषि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों एवं राष्ट्रनिर्माताओं का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसी योग्य मानव संपदा तैयार करें जो समाज, राष्ट्र एवं संपूर्ण मानवता के कल्याण में योगदान दे सके। विद्यार्थियों को बौद्धिक रूप से सशक्त बनाते हुए उन्हें समाज और राष्ट्र के लिए मूल्यवान संपत्ति के रूप में तैयार किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार शिक्षा कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हुए शिक्षा, अनुसंधान, मानव संसाधन विकास, प्रशासनिक एवं वित्तीय सुधार, आधारभूत संरचना, हरित पहल, उद्यमिता एवं स्टार्टअप के क्षेत्रों में हो रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कृषि राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक मजबूती का आधार है, अतः युवाओं का कृषि एवं कृषि-आधारित व्यवसायों की ओर रुझान बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।
उन्होंने निर्देश दिए कि कृषि विश्वविद्यालयों में अधिक से अधिक छात्रों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए ताकि कृषि शिक्षा का लाभ अधिकतम युवाओं तक पहुँच सके। शिक्षकों एवं छात्रों के अनुपात की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण कृषि शिक्षा के माध्यम से भारत को एक मजबूत कृषि-शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से संबद्ध 13 संस्थानों (9 सरकारी एवं 4 निजी) की स्थिति की समीक्षा की और कहा कि यदि कोई संस्थान सम्बन्धता हेतु निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरता है, तो विश्वविद्यालय को ऐसे संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल स्थापित करने के निर्देश दिए, ताकि पूर्व छात्रों की रोजगार स्थिति का रिकॉर्ड रखा जा सके। साथ ही, उन्होंने प्रतिवर्ष ‘अलुमनाई मीट’ आयोजित करने का सुझाव दिया, जिससे सफल पूर्व छात्र वर्तमान विद्यार्थियों को प्रेरित कर सकें।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि विदेशों और बड़े शहरों में कार्यरत पूर्व छात्रों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ा जाए।
भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में भारत के प्राचीन ग्रंथ अवश्य उपलब्ध हों। महर्षि भारद्वाज के विमान विज्ञान, भास्कराचार्य के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत तथा नालंदा विश्वविद्यालय जैसे ज्ञान केंद्रों की गौरवशाली परंपरा का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान आज वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रतिभा के माध्यम से पुनः प्रतिष्ठित हो रहा है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कृषि तकनीकी प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा कृषि उद्यमियों से संवाद भी किया।
 
                         Media Desk
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