राज्य में उच्च नस्लीय पशुधन के लिए अभिनव प्रयास -राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सिरोही नस्ल के बकरे किये गए निःशुल्क वितरित

राज्य में उच्च नस्लीय पशुधन के लिए अभिनव प्रयास -राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सिरोही नस्ल के बकरे किये गए निःशुल्क वितरित

जयपुर, 22 फरवरी। राज्य में समृद्ध पशुपालन के लिए नित नए नवाचार कर पशुपालकों की आय में वृद्धि के स्रोत विकसित करने के निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं ।  राज्य सरकार द्वारा उच्च नस्लीय पशुधन उत्पादकता के जरिए पशुपालकों के लिए आय एवं रोजगार के संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत सिरोही नस्ल के बकरे निःशुल्क वितरित किये जा रहे हैं।

  पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रवीण सेन ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत सिरोही नस्ल बकरी विकास परियोजना के तहत बकरी पालकों को  अब तक 124 सिरोही नस्ल के बकरे  निःशुल्क वितरित किये गए हैं। उन्होंने बताया कि  मानपुरा-माचेड़ी, चाकसू  में निःशुल्क बकरा वितरण के लिए शिविर लगाकर पशुपालकों को उच्च नस्लीय  बकरों का निशुल्क वितरण किया गया है।

       इस मौके पर मौजूद लाभार्थी पशुपालकों ने राज्य सरकार द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि उच्च नस्लीय बकरी पालन से उनकी आय में भी लगातार वृद्धि हो रही है साथ ही वे अन्य बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवा पा रहे हैं।

  इस मौके पर  अतिरिक्त निदेशक डॉ.उम्मेद सिंह, उप निदेशक डॉ. पदमचंद, डॉ. विनय चौधरी सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है की यह योजना राज्य के चयनित ज़िलों "अजमेर,चित्तौड़गढ़, चूरू, जयपुर, नागौर , प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर एवं सिरोही" ज़िलों में उच्च अनुवांशिकी बकरों द्वारा मांस उत्पादन में वृद्धि के लिए अनुवांशिक विकास के लिए चलायी जा रही है।

 क्या है बकरे की सिरोही नस्ल?

डॉ. ऋतुजा के अनुसार सिरोही नस्ल के बकरे/बकरी  केवल उच्च गुणवत्तायुक्त  मांस उत्पादन बल्कि   दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से  उत्तम नस्ल मानी जाती है ।   अन्य सामान्य नस्लों की तुलना में सिरोही  नस्ल के बकरी  2 किलो प्रति दिन तक दुग्ध उत्पादन करती है ।  ऐसी नस्ल की बकरी में रोग प्रतिरोधक एवं सूखा सहन करने की क्षमता अन्य बकरियों से अधिक होती है ।  इस नस्ल की बकरियों में एक साथ एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने एवं शीघ्र  वजन बढ़ने के  कारण  पशुपालकों के द्वारा इन्हे पालना  पसंद किया जाता है।