प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र की अतीत की बेड़ियों से 'मुक्ति' का साहसिक निर्णय लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान पर काफी जोर दिया तो पूरे विश्व ने इस क्षेत्र में भारत की ऊंची छलांग को स्वीकार किया है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र की अतीत की बेड़ियों से 'मुक्ति' का साहसिक निर्णय लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान पर काफी जोर दिया तो पूरे विश्व ने इस क्षेत्र में भारत की ऊंची छलांग को स्वीकार किया है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र को अतीत की बेड़ियों से 'खोलने' का साहसिक निर्णय लेने के बाद पूरा विश्व आज अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की ऊंची छलांग को स्वीकार कर रहा है।

उन्होंने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने अतीत की वर्जनाओं को तोड़ा है और कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि यह पहले क्यों नहीं हो सकता था। साथ ही, भौतिक स्तर पर भी, इन्होंने वित्तपोषण में वृद्धि की है, निजी क्षेत्र और उद्योग जगत को प्रोत्साहित किया है। केवल 3-4 वर्षों के भीतर हमारे पास 150 से अधिक स्टार्टअप हैं।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसरो ने 380 से अधिक विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करके 250 मिलियन यूरो अर्जित किये और अमरीकी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 170 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है।

उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज लगभग 8 बिलियन डॉलर की है, जो वैश्विक (बाजार हिस्सेदारी) का 2 प्रतिशत है, लेकिन पूरी दुनिया तीव्र गति को स्वीकार कर रही है और यही कारण है 2040 तक 40 अरब डॉलर होने का अनुमान है। किंतु, लगभग 2-3 दिन पहले, एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट के अनुसार, हमारे पास 2040 तक 100 बिलियन डॉलर की क्षमता हो सकती है। यह एक ऊंची छलांग होने जा रही है। दुनिया अब यही उम्मीद कर रही है, क्योंकि हमने बहुत तेजी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, हमने अनेक बार प्रक्षेपण किये हैं।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 2 सितम्बर को प्रथम सूर्य मिशन आदित्य-एल-1 के प्रक्षेपण के बाद महत्वाकांक्षी गगनयान की पहली परीक्षण उड़ान अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में होगी। उन्होंने कहा कि दूसरे परीक्षण में, संभवत: अगले साल की शुरुआत में, प्रथम मानव मिशन से पहले गगनयान पर "व्योममित्र" नामक एक महिला रोबोट होगी, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल हो सकते हैं।

इस बात से इंकार करते हुए कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत किसी अन्य देश के साथ प्रतिस्पर्धा में है, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दोहराते हुए कहा कि भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण हैं, जैसा कि संस्थापकों ने परिकल्पित किया है। उन्होंने कहा कि इसरो अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है और निजी विदेशी संस्थाओं और शैक्षिक संस्थानों के कई उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर चुका है।

रेलवे, राजमार्ग, कृषि, जल मानचित्रण, स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत के लगभग हर घर तक पहुंची है।