जयपुर, 22 फरवरी। त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत गौवंश में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के अंतर्गत पशुपालकों एवं दुग्ध उत्पादक संघों को आ रही समस्याओं के निदान के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की बैठक का आयोजन बुधवार को गोपालन विभाग में किया गया ।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए गोपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. लाल सिंह ने कहा कि भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से राज्य में उच्च नस्लीय गौवंश जैसे गिर, साहीवाल, मुर्रा आदि विकसित होने के साथ पशुपालकों को आर्थिक एवं सामाजिक सम्बल मिल सकेगा।
इस मौके पर डॉ. सिंह ने योजना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करते हुए मौजूद दुग्ध उत्पादक संघों के प्रतिनिधियों के साथ वार्तालाप की। उन्होंने बताया कि योजनान्तर्गत प्रति गर्भ धारण पर 21 हजार रूपए कार्यकारी संस्था को भुगतान करने होते हैं। जिसमे 5 हजार रूपए केंद्र सरकार द्वारा अनुदान देय है, तथा 16 हजार रूपए पशुपालक द्वारा दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि राज्य के ज्यादातर पशुपालकों के लिए उक्त राशि अधिक है जिसकी वजह से डेयरी संघों के माध्यम से राशि का आहरण किया जा रहा है। इसी क्रम में जयपुर डेयरी द्वारा 14 हजार रुपए की राशि का अनुदान दिया जा रहा है जिसके तहत पशुपालक को सिर्फ 2000 रूपए की राशि ही देनी होती है। साथ ही यदि पशुपालक/गौशाला उक्त राशि भुगतान करने में असमर्थ हो तो सनराइज़ संस्था द्वारा उक्त राशि का भुगतान किया जायेगा।
इस दौरान राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के प्रतिनिधि डॉ. एस. पी. सिंह ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से योजना के प्रभावी संचालन के विभिन्न तरीकों से अवगत कराया। उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के लिए गोवंश का चयन अत्यधिक सावधानी पूर्वक करना चाहिए साथ ही प्राप्तकर्ता मादा गौवंश पूर्णतया स्वस्थ स्थिति में होनी चाहिए।
योजना प्रभारी डॉ कौशल कुमार वर्मा ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि गौवंश में उच्च नस्ल संवर्धन एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से राज्य में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का संचालन किया जा रहा है ।
बैठक में वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों सहित राज्य के विभिन्न जिलों से दुग्ध उत्पादक संघों के प्रतिनिधि मौजूद रहे ।